अगर “भाखड़ा नांगल” डैम टूट जाये तो भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
आपको बताने की जरुरत नहीं है की पानी की ताकत क्या होती है. जब भी कोई नदी में बाढ़ आती है या समुद्र में तूफान आता है या फिर बादल फटता है तो त्राहि-त्राहि मच जाती है. अगर एसा कुछ भी होता है तो सारे अख़बार और न्यूज में बस इसकी ही खबर आती रहती है. सरकार भी एसा फिर से हो तो क्या करना चाहिए इस पर विचार करने लगती है. पर यह सब बात है प्राकुतिक जल तबाही की बात जिसमे इन्सास कुछ भी नहीं कर सकता. लेकिन क्या होगा अगर इन्सानों द्वारा बनाए गए डैम टूट जाए तो ?
डैम को दुनिया भर में नदियों के पानी को रोकने के लिए या मरोड़ने के लिए बनाये गए है. लेकिन क्या सच में मानव इतना बड़ा हो गया है की प्रकुति को अपने वस् में कर सकता है? पर सही सवाल यह नहीं है की मानव प्रकुति को अपने वस् में कर सकता है, सही सवाल यह है की क्या मानव में इतना धैर्य है की किसी भी चीज की अति ना करे. एसा करने से सिर्फ दुर्गति ही होती है. एसा ही कुछ हुआ है डैम के साथ भी.
डैम बनाने में भी हम इन्सान ने प्रयावरण के सभी नियमो का उल्लंघन किया है. जितने डैम बनाने चाहिए थे इससे कई गुना ज्यादा डैम हमने बनाया है. इसी वजह से हम सबके मन में यह सवाल जरुर आना चाहिए की क्या होगा अगर किसी प्राकुतिक घटना में यह सारे डैम टूट गए तो? क्या इन्सानों द्वारा बनाए गए डैम भूकंप के प्रकोप को जैल सकता है.
हाल ही में महाराष्ट्र का रत्नागिरी डैम टुटा जिसमे करीब 23 लोगो की मोत हो चुकी है. खैर यह तो सिर्फ एक छोटा सा डैम था पर क्या होगा अगर भारत का सबसे बड़ा “भाखड़ा नांगल” डैम टूट जाए तो? क्या तबाही मचेगी? आप और में सोच भी नहीं सकते की क्या तबाही मचेगी लेकिन आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इसकी एक छोटी सी जलक दिखता हु की क्या होगा अगर सच में “भाखड़ा नांगल” डैम टूट गया तो?
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पहेले जानते है “भाखड़ा नांगल” डैम के बारे में
Sataluj River |
“भाखड़ा नांगल” डैम हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर बनाया गया है. या भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी योजना है. यह बाँध टिहरी घाटी के बाद भारत का सबसे ऊँचा डैम है. इसका मुख्य उद्देश्य विद्युत उत्पादन है. और इसी उद्देश्य के कारन इस डैम का निर्माण सन 1948 में शुरू हुआ था और सन 1962 में अमेरिकी बांध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देशन में पूरा हुआ था. 22 अक्टूबर,1963 में भारत के पहेले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नहेरु ने इसका उद्घाटन किया था.
“भाखड़ा नांगल” डैम नाम से आपको लगता होगा की यह दोनों एक ही है लेकिन वास्तव में यह दोनों डैम अलग-अलग है लेकिन एक दुसरे को जोड़ने का काम करते है. चलिए दोनों डोम के बारे में भी जानकारी लेते है.
भाखड़ा डैम
यह डैम हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की सतलुज नदी पर बनाया गया है. इस बांध की ऊंचाई 226 मीटर है जबकि इसकी दीवाल 520 मीटर लम्बी है. वही इसकी चौड़ाई 9.1 मीटर है. इस बांध के निर्माण में करीब 245 करोड़ 28 लाख का खर्च हुआ था.
नांगल डैम
यह डेम भाखड़ा डैम से करीब 10 किलोमीटर की दुरी पर पंजाब के नांगल में बनाया गया है. यह डैम 29 मीटर ऊँचा, 305 मीटर लम्बा और 121 मीटर चौड़ा है. इस डैम को भाखड़ा डैम के सहायता के लिए बनाया गया है. इसका हाइडल चैनल 64.4 किलोमीटर लम्बा, 42.65 मीटर चौड़ा और 6.28 मीटर गहेरा केनाल है. भाखड़ा बाँध से आने वाले पानी के तेज प्रवाह को कम करने के लिए बनाया गया था.