Motivational Story of Swami Vivekananda | स्वामी विवेकानंद के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग

स्वामी विवेकानंद के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग| Motivational Story of Swami Vivekananda

स्वामीविवेकानंद से जुड़े प्रसंगो में जीवन प्रबंधन के कई ऐसे सूत्र छिपे होते हैं, जिन्हें अपनाने से हमारी कई परेशानियां खत्म हो सकती हैं. काफी लोग ऐसे हैं जो मेहनत तो काफी अधिक करते हैं, लेकिन सफल नहीं हो पाते हैं तो आज इस आर्टिकल में में आपको स्वामी विवेकानंद के जीवन के कुछ एसे प्रसंग के बारे में बताऊंगा की जिसे पढ़ कर आप भी अपनी गलती सुधार सकते हो और आगे बढ़ ने की प्रेरणा ले सकते हो.

Motivational Story of Swami Vivekananda | स्वामी विवेकानंद के जीवन से कुछ प्रेरक प्रसंग


प्रसंग – 1
प्रसंग के अनुसार एक बार स्वामी विवेकानंद के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो बहुत दुखी लग रहा था. उस व्यक्ति ने आते ही स्वामीजी के पैरों में गिर पड़ा और बोला कि मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूंमैं बहुत मेहनत करता हूंलेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाता हूं. उसने विवेकानंद से पूछा कि भगवान ने मुझे ऐसा नसीब क्यों दिया हैमैं पढ़ा-लिखा और मेहनती हूं, फिर भी कामयाब नहीं हूं.
स्वामीजी उसकी परेशानी समझ गए और उस समय स्वामीजी के पास एक पालतू कुत्ता थाउन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि तुम कुछ दूर तक मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ  इसके बाद तुम्हारे सवाल का जवाब देता हूं.
वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो गया, फिर भी कुत्ते को लेकर निकल पड़ा. कुत्ते को सैर कराकर जब वह व्यक्ति वापस स्वामीजी के पास पहुंचा तो स्वामीजी ने देखा कि उस व्यक्ति का चेहरा अभी भी चमक रहा था,जबकि कुत्ता बहुत थका हुआ लग रहा था.
स्वामीजी ने व्यक्ति से पूछा कि यह कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया, जबकि तुम तो बिना थके दिख रहे हो?
व्यक्ति ने जवाब दिया कि मैं तो सीधा-साधा अपने रास्ते पर चल रहा था, लेकिन कुत्ता गली के सारे कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर वापस मेरे पास आ जाता था. हम दोनों ने एक समान रास्ता तय किया है, लेकिन फिर भी इस कुत्ते ने मेरे से कहीं ज्यादा दौड़ लगाई है इसलिए यह थक गया है.
स्वामीजी ने मुस्करा कर कहा कि यही तुम्हारे सभी प्रश्रों का जवाब है. तुम्हारी मंजिल तुम्हारे आसपास ही है. वह ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन तुम मंजिल पर जाने की बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और अपनी मंजिल से दूर होते चले जाते हो.
यही बात लगभग हम पर भी लागू होती है. अधिकांश लोग दूसरों की गलतियां देखते रहते हैंदूसरों की सफलता से जलते हैं और अपने थोड़े से ज्ञान को बढाने की कोशिश नहीं करते हैं और अहंकार में दूसरों को कुछ भी समझते नहीं हैं जिसकी वजह से हम अपना बहुमूल्य समय और क्षमता दोनों खो बैठते हैं और जीवन एक संघर्ष मात्र बनकर रह जाता है.
सीख इस प्रसंग की सीख ये है कि दूसरों से Compression नहीं करना चाहिए और अपने लक्ष्य दूसरों को देखकर नहीं, बल्कि खुद ही तय करना चाहिए.
प्रसंग – 2
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में एक पुल से गुजर रहे थे. तभी उन्होंने देखा कि कुछ लड़के नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगा रहे थे. किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था. स्वामी जी ने खुद बन्दूक संभाली और निशाना लगाने लगे. उन्होंने एक के बाद एक 12 सटीक निशाने लगाए. सभी लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा- स्वामी जी, आप ये सब कैसे कर लेते हैं?  इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा, “जो भी काम करो अपना पूरा ध्यान उसी में लगाओ.”
सीख जो काम करो, उसी में अपना पूरा ध्यान लगाओ. लक्ष्य बनाओ और उन्हें पाने के लिए प्रयास करो. सफलता हमेशा तुम्हारे कदम चूमेगी.
प्रसंग– 3
स्वामी विवेकनन्द एक बार बनारस में मां दुर्गा के मंदिर से लौट रहे थे, तभी बंदरों के एक झुंड ने उन्हें घेर लिया. बंदरों ने उनसे प्रसाद छीनने की कोशिश की, स्वामी जी डर के मारे भागने लगे. इसके बाद भी बंदरों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. तभी पास खड़े एक बुजुर्ग संन्यासी ने विवेकानंद से कहा- रुको! डरो मत, उनका सामना करो और देखो क्या होता है. संन्यासी की बात मानकर वह फौरन पलटे और बंदरों की तरफ बढ़ने लगे. इसके बाद सभी बंदर एक-एक कर वहां से भाग निकले.
सीख इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली. अगर तुम किसी चीज से डर गए हो, तो उससे भागो मत, पलटो और सामना करो.
प्रसंग 4
एक बार एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद के पास आकर बोली- मैं आपसे शादी करना चाहती हूं. विवेकानंद बोले- मुझसे ही क्यों? क्या आप जानती नहीं कि मैं एक संन्यासी हूं? महिला ने कहा, “मैं आपके जैसा गौरवशाली, सुशील और तेजस्वी बेटा चाहती हूं और यह तभी संभव होगा, जब आप मुझसे शादी करें.स्वामी जी ने महिला से कहा, “हमारी शादी तो संभव नहीं है, लेकिन एक उपाय जरूर है. मैं ही आपका पुत्र बन जाता हूं. आज से आप मेरी मां बन जाओ. आपको मेरे जैसा ही एक बेटा मिल जाएगा.इतना सुनते ही महिला स्वामी जी के पैरों में गिर गई और मांफी मांगने लगी.
सीख एक सच्चा पुरूष वह है जो हर महिला के लिए अपने अंदर मातृत्व की भावना पैदा कर सके और महिलाओं का सम्मान कर सके.
प्रसंग 5
मां की महिमा जानने के लिए एक आदमी स्वामी विवेकानंद के पास आया. इसके लिए स्वामी जी ने आदमी से कहा, “5 किलो का एक पत्थर कपड़े में लपेटकर पेट पर बांध लो और 24 घंटे बाद मेरे पास आना, तुम्हारे हर सवाल का उत्तर दूंगा.दिनभर पत्थर बांधकर वह आदमी घूमता रहा, थक-हारकर स्वामी जी के पास पंहुचा और बोला- मैं इस पत्थर का बोझ ज्यादा देर तक सहन नहीं कर सकता हूं. स्वामी जी मुस्कुराते हुए बोले, “पेट पर बंधे इस पत्थर का बोझ तुमसे सहन नहीं होता. एक मां अपने पेट में पलने वाले बच्चे को पूरे नौ महीने तक ढ़ोती है और घर का सारा काम भी करती है. दूसरी घटना में स्वामी जी शिकागो धर्म संसद से लौटे तो जहाज से उतरते ही रेत से लिपटकर रोने गले थे. वह भारत की धरती को अपनी मां समझते थे और लिपटकर खूब रोए थे.

सीख संसार में मां के सिवा कोई इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है. इसलिए मां से बढ़ कर इस दुनिया में कोई और नहीं है.

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