Maharana Pratap History in Hindi | मेवाड़ का वीर योद्धा महाराणा प्रताप
दोस्तों,आप सभी ने भारत के वीर सपूत महाराणा प्रताप का नाम तो सुना ही होगा और उनके बहादुरी के क़िस्से भी सुने होगें की किस तरह से उन्होंने ने मोगल साम्राज्य का अकेले सामना किया था. तो आज की इस पोस्ट में में आपको महाराणा प्रताप की विरता के कुछ क़िस्से और रोचक तथ्य के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से बताने वाला हु जो की आपको बहुत ही पसंद आयेगा.
Maharana Pratap History in Hindi पोस्ट की खास बाते:-
- महाराणा प्रताप का जन्म और बचपन
- महाराणा प्रताप की पत्नी और पुत्र
- राजगद्दी और परवारिक मतभेद
- युद्ध की चुनौती
- मोगलो का सामना
- चेतक और महाराणा प्रताप
- रामप्रसाद एक बहादुर हाथी
- हल्दी घाटी का युद्ध
- महाराणा प्रताप की मृत्यु
- महाराणा प्रताप के बारे में रोचक तथ्य
Maharana Pratap History in Hindi
महाराणा प्रताप का जन्म और बचपन
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ जिले में हुआ था. महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम रानी जयवंता बाई था. महाराणा उदय सिंह द्वितीय मेवाड़ के शासक थे और उनकी राजधानी चित्तोड़ थी. महाराणा प्रताप अपने सभी भाइयों में सबसे बड़े थे इसलिए उनको मेवाड़ का उत्तराधिकारी बनाया गया था. वो सिसोदिया राजवंश के 54वे शासक कहलाते है.
महाराणा प्रताप का बचपन
महाराणा प्रताप को बचपन में ही ढाल तलवार चलाने का शिक्षण दिया गया था क्योंकि उनके पिता उन्हें अपनी तरह कुशल योद्धा बनाना चाहते थे. बालक प्रताप ने कम उम्र में ही अपने अदभुत साहस का परिचय दे दिया था. वो बचपन में ही दल बनाकर खेलते थे और सभी बच्चो के साथ वो ढाल तलवार का अभ्यास भी करते थे. जिस के कारण वो हथियार चलाने में पारंगत हो गये थे. इस तरह प्रताप अस्त्र शस्त्र चलाने में निपुण हो गये और उनका आत्मविश्वास देखकर उदय सिंह फुले नही समाते थे.
महाराणा प्रताप की पत्नी और पुत्र
महाराणा प्रताप की 11 पत्निया थी जिनमे के नाम इस प्रकार से हे.
- महारानी अज्बदे पुनवर
- अमर्बाई राठौर
- रत्नावातिबाई परमार
- जसोबाई चौहान
- फूल बाई राठौर
- शाहमतिबाई हाडा
- चम्पाबाई झाती
- खीचर आशा बाई
- अलाम्देबाई चौहान
- लखाबाई
- सोलान्खिनिपुर बाई.
महराना प्रताप के 17 पुत्र थे जिनके नाम क्रमश:
- अमर सिंह
- भगवन दास
- शेख सिंह
- कुंवर दुर्जन सिंह
- कुंवर राम सिंह
- कुंवर रैभाना सिंह
- चंदा सिंह
- कुंवर हाथी सिंह
- कुंवर नाथा सिंह
- कुंवर कचरा सिंह
- कुंवर कल्यान दास
- सहस मॉल
- कुंवर जसवंत सिंह
- कुंवर पूरन मॉल
- कुंवर गोपाल
- कुंवर सनवाल दास सिंह
- कुंवर माल सिंह
राजगद्दी और परवारिक मतभेद
जैसे की पहले के राजपूत एक से ज्यादा शादी करते थे ठीक उसी तरह महाराणा उदय सिंह की भी एक से अधिक रानी थी उन मे से रानी धीर बाई की मंशा थी कि उनकापुत्र जगमाल राणा उदय सिंह का उत्तराधिकारी बने और वही दूसरी तरफ राणा उदय सिंह के दो पुत्र शक्ति सिंह और सागर सिंहकी भी यही इच्छा थी की राणा उदय सिंह के बादराजगद्दी उन्हें मिले लेकिन प्रजा और राणा जी दोनों ही प्रताप को ही उत्तराधिकारी के तौर पर मानते थे और इसी कारन से उनके राजवंस में तनाव और मतभेद हो गया.
मोगलो और अकबर का षड्यंत्र
अकबर की बिलकुल भी ताकत नहीं थी की वो मेवाड़ के सामने आँख उठा कर भी देख सके और इसके लिए वो कुछ न कुछ तरकीब ढूँढता रहता था. एक बार अकबर को वो मौका मिल गया. जैसे के हम जानते ही हे की अगर जब भी घर के दो लोग आपस मे भिड़ते हे तो कोई दूसरा इसका फायदा ज़रुर उठाता हे.
अकबर की बिलकुल भी ताकत नहीं थी की वो मेवाड़ के सामने आँख उठा कर भी देख सके और इसके लिए वो कुछ न कुछ तरकीब ढूँढता रहता था. एक बार अकबर को वो मौका मिल गया. जैसे के हम जानते ही हे की अगर जब भी घर के दो लोग आपस मे भिड़ते हे तो कोई दूसरा इसका फायदा ज़रुर उठाता हे.
इसी तरह अकबर ने उनके परिवार के सदस्यों को एक एक करके महाराणा प्रताप के खिलाफ कर दिया और उनके राज परिवार में दरार खड़ी कर दी और महाराणा प्रताप अकेले हो गए.
महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा
सन 1572 मेंमहाराणा प्रताप मेवाड़ के महाराणा बन गये थे लेकिन वो पिछले पांच सालो सेचित्तोड़ कभी नहीं गये क्योंकि अकबर ने दुसरे राजपूतो की मदद से चितोड़ पर अपना कब्ज़ा कर लिया था. महाराणा प्रताप को अपने पिता के चित्तोड़ को पुन: देख बिना मौत हो जाने का बहुत अफ़सोस था.
अकबर ने चित्तोड़ पर तो कब्जा कर लिया था लेकिन मेवाड़ का राज अभी भी उससे दूर था. अकबर ने कई बार अपने दूतो को राणा प्रताप से संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए भेजा और हर बार राणा प्रताप ने कहा की मेवाड़ की प्रभुता उनके पास ही रहेगी.
युद्ध की चुनौती
सन 1573 मेंसंधि प्रस्तावों को ठुकराने के बाद अकबर ने मेवाड़ का बाहरी राज्यों से सम्पर्क तोड़ दिया और मेवाड़ के सहयोगी दलों अलग थलग कर दिया जिसमे से कुछ महाराणा प्रताप के मित्र और रिश्तेदार थे. अकबर ने चित्तोड़ के सभी लोगो को प्रताप की सहायता करने से मना कर दिया फिर भी महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और अकेले ही अकबर का सामना करने का फैसला कर लिया था.
महाराणा प्रताप जंगल में रहकर सभी लोगो का साहस बढ़ाते थे. मुगल सेना के पास कई तोंपे और विशाल सेना थी लेकिन प्रताप की सेना के पास केवल हिम्मत और साहसी जांबाजो की सेना के अलावा कुछ भी नही था.
चेतक और महाराणा प्रताप
हल्दीघाटी के युद्ध के बारे में बात करने से पहले चेतक के बारे में बात करते हे क्योंकि इस महान घोड़े के बिना महाराणा प्रताप का जीवन अधूरा था. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय और प्रसिद्ध नीलवर्ण मूल के घोड़े का नाम चेतक था.
चेतक अश्व गुजरात के चोटीला के पास भीमोरा गांवका था. महाराणा प्रताप और चेतक के बीच एक गहरा संबंध था. चेतक ने महाराणा प्रताप को ही अपने मालिक के रूप में चुना था. इसी चेतक ने हल्दी घाटीके युद्ध में घायल अवस्था में भी 28 फुट की नाली को कूद कर महाराणा प्रताप को बचाया था. और अंत में इसी युद्धस्थल के पास चेतक घायल हो कर शहीद हुआ था.
हल्दी घाटी का युद्ध
सन 1576 में हल्दी घाटी का युद्ध का युद्ध शुरू हो गया था. महाराणा प्रताप युद्ध को पहाडी के इलाके में लड़ना चाहते थे जिसके बारे में मेवाड़ सेना आदि थी लेकिन मुगल सेना को बिलकुल भी अनुभव नही था. इस युद्ध के वक्त महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 15000 सैनिक और मुगल सेना के 80,000 सैनिक थे.
अकबर के पास इतनी बड़ी सेना थी फिर भी वो महाराणा प्रताप के सामने आने से डरता था क्योंकि अकबर को डर था की वो तलवार के एक ही वार से मेरे धड़ को अलग कर देंगे.
महाराणा प्रताप की ऊंचाई 7.5 फुट थी. उनके भाले का वजन 80 किलो और कवच का वजन 72 किलो हुआ करता था. कुल मिलाकर महाराणा प्रताप 208 किलो वजन के साथ युद्ध करते थे. एक बार महाराणा प्रताप स्वयं मुगल सैनिकों से घिर गये थे. और तभी उनके घोड़े चेतक ने घायल अवस्था में भी 28 फुट की नाली को कूद कर महाराणा प्रताप को बचाया था.
रामप्रसाद एक बहादुर हाथी
इसी युद्ध के वक्त अकबर ने महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद को बहुत सारे महावतो और हाथी की मदद से बंदी बना लिया और अपने साथ ले गया. रामप्रसाद भी अपने मालिक के प्रति इतना वफादार था की अकबर के कई प्रयासों के बावजूद भी वो अकबर के सामने नहीं झुका. इस हाथी ने 28 दिनों तक खाना नहीं खाया और महाराणा प्रताप की याद में अपना जिव छोड़ दिया.
तभी अकबर ने अपने सैनिकों से कहा की में जिस महाराणा प्रताप के हाथी को नहीं झुका सका उसके मालिक को क्या झुका सकूँगा. इसके बाद अकबर वहा से EAST की और चला गया. अब महाराणा प्रताप ने मेवाड़ और उसके आसपास के सभी राज्यों को जित लिया था.
महाराणा प्रताप की मृत्यु
महाराणा प्रताप कभी चित्तोड़ वापस नहीं जा सके लेकिन वो उसे पान के लिए जीवनपर्यन्त प्रयास करते रहे . एक बार जंगल में शिकार के दौरान उनको चोट लगती हे और इस गहरी चोट की वजह से महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई. उनकी मृत्यु जनवरी 1597 में 56 साल की उम्र में हुई थी.
उनकी मृत्यु का समाचार जैसे ही अकबर को पता चलता हे तो अकबर की आँख में भी आँसू आ जाते हे और वो कहता हे के एसे महावीर दुनिया से अलविदा हो गया और साथ ही कहता हे को एसे महावीर को वो अपने हाथों से नहीं हरा सका उसका उनको अफ़सोस रहेगा.
महाराणा प्रताप के बारे में रोचक तथ्य
- महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था.
- महाराणा प्रताप के बचपन का नाम “कीका” था.
- उनकी ऊंचाई 7 फीट 5 इंच थी. और वजन 110 किलो था.
- महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था और उनके कवच का वजन 72 किलो था.
- महाराणा प्रताप इतने शकती साली थे की तलवार के एक ही वार में दुश्मन को चिर डालते थे.
- महान सम्राट अकबर भी महाराणा प्रताप की वीरता से बहुत प्रभावित था.
- अकबर ने महाराणा प्रताप को प्रस्ताव दिया था कि यदि वे उसके सामने झुक जाते हैं तो आधा भारत महाराणा प्रताप का हो जाएगा फिर भी महाराणा प्रताप कभी भी अकबर के सामने नहीं जूक थे.
- महाराणा प्रताप ने मायरा की गुफा में कई दिनों तक घास की रोटियां खा कर वक्त गुजारा था.
- अकबर के पास पूरा देश था इसके बावजूद भी 30 सालों तक महाराणा प्रताप को बंदी बनाने की कोशिश की फिर भी सफलता नहीं मिली
- महाराणा प्रताप की मौत के बारे में जानकर अकबर भी रो पड़ा था.
- युद्ध में महाराणा प्रताप दो तलवार रखते थे और जब भी उनके दुश्मन के पास तलवार नही होती थी तो उसे अपनी एक तलवार देते थे जिससे युद्ध बराबरी का हो. इससे पता चलता है कि महाराणा प्रताप एक न्यायप्रिय राजा थे.
- अकबर ने एक बार कहा था कि महाराणा प्रताप और जयमल यदि उनके साथ हो जाएं तो अकबर विश्व का सबसे शक्तिशाली राजा बन सकता है.
- चेतक की तरह महाराणा प्रताप के पास रामप्रसाद नाम का हाथी था जिसने हल्दी घाटी के युद्ध में अकबर के 8 हाथी और कई सारे घोड़े को मार दिया था.
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