दोस्तों, एक समय था जब सारे देश भारत पर राज करने का सपना देखते थे क्योंकि भारत दुनिया का सबसे अमीर देशों में से एक था. भारत देश शुरू से हे समृद्ध और सम्पन्न रहा हे और भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. लेकिन भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था? अगर भारत सोने की चिड़िया था, तो इसके सोने के पंख कहा गए? मतलब एसा क्या हुआ की भारत की गिनती अमीर देशों में नहीं की जाती हे. चलिए जानते हे इस आर्टिकल के माध्यम से की भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था?
चलिए जानते हे की भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था? आर्टिकल में हम कौन से मुद्दे पर बात करने वाले हे.
चलिए जानते हे ऊपर दिए गए सारे मुद्दे के बारे जिससे आपको पता चल जायेगा की भारत के पास कितना सोना था और अब भारत की एसी हालत क्यों हो गई हे.
प्राचीन भारत का लघु उद्योग
प्राचीन भारत में कोई भी एसा इन्सान या घर नहीं था जिसके पास अपना खुद का छोटा सा उद्योग ना हो. इसी वजह से भारत के लोगो को जो भी चीज चाहिए थी वो सारी भारत में ही मिल जाती थी और बहार से कुछ खरीदने की आवश्यकता नहीं होती थी. इसी वजह से भारत का धन भारत में ही घूमता रहता था. यह भी एक कारन हे भारत एक सोने की चिड़िया बन सका.
कृषि प्रधान देश
जैसे की हम सबको पता हे की भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता था. भारत में इस वक्त खेती का अहम उपयोग होता था, भारत में विविध प्रकार के उत्पादन होते थे जिसमे मसाला, कपास, चावल, गेहूं, चीनी जैसी बहुत सारी चीजों का उत्पादन भारत में होता था.
भारत का आयात और निकास
भारत में उस वक्त बहुत सारी चीज़ो का निकास होता था जैसी की, कपास, चावल, गेहूं, चीनी जबकि मसालों में मुख्य रूप से हल्दी, काली मिर्च, दाल चीनी, जटामांसी इत्यादि शामिल थे. इसके अलावा आलू, नील, तिल का तेल, हीरे, नीलमणि आदि के साथ-साथ पशु उत्पाद, रेशम, चर्मपत्र, शराबऔर धातु उत्पाद जैसे ज्वेलरी, चांदी के बने पदार्थ आदि निर्यात किये जाते थे.
जबकि सोने के रोमन सिक्के, काच के बने पदार्थ, शराब, दवाएँ, टिन, तांबे, चांदी के बने आभूषण जैसी चीजों का आयात किया जाता था.
भारत का व्यापार उस वक्त भारत का व्यापार बहुत ही तेजी से चल रहा था, बहार के लोग भारत में आकर कपड़े खरीदते थे और सोना देकर जाते थे, इस तरह खेती और अन्य चीज में भी एसा ही होता था, इसी वजह से भारत के पास काफी मात्रा में सोना आया करता था. और यह भी एक वजह हे की भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था.
मयूर सिंहासन
मोर सिंहासन
भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे मयूर सिंहासन का भी बहुत ही बड़ा योगदान था. इस सिंहासन की एक अलग ही पहेचन हुआ करती थी. इस सिंहासन को बनाने के लिये इतना खर्च हुआ था की इतने धन में दो ताजमहलका निर्माण किया जा सकता था.
इतिहासकारों के अनुसार, मयूर सिंहासन को बनाने के लिए करीब एक हजार किलो सोने और बेश कीमती पत्थरोंका प्रयोग किया गया था. आज के ज़माने में मयूर सिंहासन की कीमत 450 करोड़ रुपये के आसपास होती हे.
कोहिनूर हिरा
आप सभी ने कोहिनूर हीरे के बारे में सुना होगा, यह बेहद कीमती हिरा एक समय में भारत के पास हुआ करता था और भारत को सोने की चिड़िया कहलाने में कोहिनूर हिरा का भी बहुत बड़ा योगदान था.कोहिनूर हीरे का वजन 21.6 ग्राम है और बाजार में इसकी वर्तमान कीमत 1 अरब डॉलर के करीब हे.
यह हीरा गोलकुंडा की खदान से मिला था और दक्षिण भारत के काकतीय राजवंश को इसका प्राथमिक हकदार माना जाता है. लेकिन आज वो हिरा ब्रिटेन की महारानी के पास हे.
मोहम्मद गजनी
मोहम्मद गजनी की लूंट
मोहम्मद गजनी ने भारत पर हमला किया था उसकी बड़ी वजह भारत की समृद्धि ही थी. मोहम्मद गजनी ने सन 1001 में भारत के जयपालको हराकर उस किले से 4 लाखसोने के सिक्के लूटे थे, हर सिक्के का वजन 120 ग्राम था. इसके बाद गजनी ने बहुत सारे राज्य को भी लूटा था.
सन 1025 में उसने गुजरात पर हमला किया और गुजरात के सोमनाथ मंदिर से करीब 45 हजार करोड़ की किमंत के 2 मिलियन दीनार लूंट लिए थे.
नादिरशाह
नादिरशाह का आक्रमण और लूंट
मोहम्मद गजनी के बाद फारस का नादिरशाह भारत को लूंट ने के इरादों से भारत में आया और उसने भारत के तत्कालीन गद्दार राजाओ की मदद से भारत को लूटा और इस लूंट में वो अपने साथ बहुत सारा सोना और मयूर सिंहासन को भी ले गया, जो की बेहद कीमती था.
अंग्रेजों की लूंट एक के बाद एक लगातार भारत को दूसरे देश ने लूटा, क्योंकि भारत के अंदर बहुत सारे लालची और गद्दार राजा मौजूद थे तो भला अंग्रेज एसा मौका अपने हाथ से कैसे जाने देते. उन्होंने ने भी भारत के लालची राजाओ और लोगो की मदद से भारत को ग़ुलाम बना लिया और दोनों हाथो से अपने इस देश को पूरी तरह से लूंट लिया और अपने साथ कोहिनूर हिरा भी ले गए.
पद्मनाभस्वामी मंदिर
मंदिरों में सोने का भंडार
भारत को इतने सारे देश के लोगो ने लूंटा फिर भी आज भारत में 22,000 टन सोना लोगों के पास है जिसमें लगभग 3 से 4 हजार टन सोना भारत के मंदिरों मेंआज भी है.
अगर वर्ष 2018-19 के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि केरल सरकार की वार्षिक आय1.03 लाख करोड़ है जबकि केरलके पद्मनाभस्वामी मंदिर के किसी गर्भ गृह के एक कोने में इतनी रकम का सोना बहुत ही आसानी से मिल जायेगा.
भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था
हमने देखा की प्राचीन भारत के पास क्या क्या था जिसकी बदौलत भारत सोने की चिड़िया कहा गया. अगर भारत में उस वक्त गद्दार मौजूद ना होते तो भारत की इस सोने की चिड़िया के पंख कोई भी काट नहीं सकता था, ना अंग्रेज, ना मोगल और नाहीं मोहम्मद गजनी.
भारत में लगातार हुई लूंट की वजह से आज सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत देश की तुलना विश्व के विकसितदेशों की तुलना में बहुत ही ख़राब हे. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि भारत पूरे विश्व में बहुत तेजी से अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है और वह समय बहुत जल्द आएगा जब लोग भारत को फिर सोने कीचिड़िया के नाम से बुलायेंगे.
उम्मीद हे दोस्तों आपको भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था लेख पसंद आया होगा. आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ ज़रुर Share करे ताकि उनको भी हमारे अनमोल व्यापार और भंडार के बारे में पता चले.
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