क्या हो अगर धरती पर की सारी बर्फ पिगल जाये?
हमारी पृथ्वी पर 71 प्रतिसद पानीहे वही 19 प्रतिसद भाग पर जमीन हे. पृथ्वी का यह 71 प्रतिसद पानी यातो महासागर में या तो बर्फ के रूप में जमा हे. यही बर्फ में से नदियो का पानी निकालता हे जो पिने के पानी के रूप में हमारे घरो तक पहोचता हे. लेकिन आज धरती पर हो रहे पोल्युसन की वजह से यह बर्फ पिगल रही हे.
हम अक्सर सुनते आ रहे हे की पृथ्वी का वातवरण तेजी से बदल रहा हे और तापमान भी बढ़ रहा हे जिसका बर्फ के पहाड़ो पर बुरा असर पड रहा हे. जिससे उसमे जमी बर्फ धीरे धीरे पिगल रही हे. कहा जा रहा हे की अगर इसी तरह बर्फ पिगलती रही तो सन 2035 तक हिमालय की सारी बर्फ पानी के रूप में नदियो में आजायेगा. वैज्ञानिक को मानना हे की ये सारी बर्फ पिगल ने में करीब 5000 साल लगेगे लेकिन जिस तरह से धरती पर पोल्युसन बढ़ रहा हे इससे बर्फ जल्दी से पिगल रही हे.
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एसे में सवाल आता हे की अगर धरती पर की सारी बर्फ पिगल जाये तो क्या होगा? क्या पृथ्वी पर जन जीवन रहेगा? कोई भी प्राणी जीवित बचेगा? क्या पानी में रहने वाले जिव बच जाएगे? चलिए जानते हे इस आर्टिकल के माध्यम से.
अगर धरती पर की सारी बर्फ पिगल जाये तो क्या होगा? आर्टिकल शुरू करने से पहेले जानते हे आज के मुख्य मुद्दे के बारे में
1. ग्लोबल वोर्मींग
2. वैज्ञानिकोंकी चेतावनी
3. अंटार्कटिकामें अशर
4. पृथ्वी पर क्या अशर होगा?
5. बचे हुए मानव और अन्य जिव का जीवन
6. प्रकृति पर अशर
चलिए अब बात करते हे विस्तार से सभी मुद्दे के ऊपर.
ग्लोबल वोर्मींग
आज ग्लोबल वोर्मींग पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चुनोती बन चुकी हे. वही एक कारन हे की धरती पर कार्बन डाइओक्साइडतेजी से फेल रहा हे जिससे पृथ्वी पर तापमान बढ़ रहा हे और इसी वजह से पृथ्वी के जलवायु में बदलाव आ रहे हे.
अगर आकड़ो की बात करे तो पृथ्वी पर 75 प्रतिसद बर्फीली जमीन झरने और नदी का रूप ले चुकी हे. सिर्फ 8 प्रतिसद बर्फीली जमीन-पर्वत ही बर्फ के रूप में बचे हे. बात यहाँ तक आ गई हे की धरती पर से कई सारे समुध्री जीवो का अस्तित्व मिट चूका हे. इस गंभीर बदलाव ने हमें ये सोच ने पर मजबूर किया हे की बर्फ विहीन होती इस धरती का अस्तित्व बर्फीले पहाड़ो के बिना रहेगा या नहीं.
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जरा सोचिये अगर रातो रात धरती पर मोजूद सारी बर्फ पिगल गई तो क्या होगा? क्या सारी दुनिया पानी में समां जाएगी? अगर आप एसा सोच रहे हे की पृथ्वी का नाश हो जायेगा तो आप गलत सोच रहे हे, एसा कुछ भी नहीं होगा.
वैज्ञानिकों की चेतावनी
वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक अगर पृथ्वी पर की सारी बर्फ पिगल जाती हे तो समंदर का लेवल 216 फीट तक बढ़ जायेगा और दुनिया में हर तरफ पानी ही पानी नजर आएगा. जिससे सभी प्रमुख शहर डूब जाएगे और दुनिया भर में तबाही मच जाएगी.
अंटार्कटिका में अशर
धरती पर करीब 50 लाख घनमील बर्फ है, जिसमें से 80 फीसदीतो अकेले ईस्ट अंटार्कटिका में ही हे. इस ग्लोबल वोर्मींग की वजह से अंटार्कटिकामें भी भरी मात्रा में बर्फ पिगल रही हे और बहोत ही बड़ा अशर देखने को मिल रहा हे. अंटार्कटिका के बाद ग्रीनलेंड में सबसे ज्यादा बर्फ हे और अगर सिर्फ ये दोनों प्रदेश के बर्फ पिगल गए तो पृथ्वी में भारी मात्रा में ताबाही मचेगी.
पृथ्वी पर क्या अशर होगा?
दुनिया में मोजूद बड़े बड़े टावर भी डूब जाएगे, भारत का हाल भी एसा ही होगा. हमारा यह उपखंड पानी पानी हो जायेगा. वेनिस और नेधरलेंड जेसे देश तो इस तबाही में पूरी तरह नस्ट हो जाएगे. ऑस्ट्रलिया जेसे देश की 80 प्रतिसद जनसँख्या मिट जाएगी.
वैज्ञानिकों का कहेना हे की इतने बड़े जल तांडव के बावजूद भी अफ्रीका जेसे महद्विप में ज्यादा नुकसान नहीं होगा. लेकिन इस बदलाव के बाद अत्यधिक गरमी वाली हवाए ज्यदातर महद्विप को जीने योग्य नहीं छोड़ेगा. ये बाद दुनिया भर में भरी तबाही मचाएगी लेकिन धरती पर से पूरी तरह मानवजाति का अस्तित्व नहीं मिटा पायेगी. लेकिन बचे हुए लोगो को अपना अस्तित्व टकाए रखने के लिए भारी संघर्स करना पड़ेगा.
बचे हुए मानव और अन्य जिव का जीवन
एक साथ इतनी सारी बर्फ पिगलनेकी वजह से पृथ्वी पर भारी मात्रा में कार्बन डाइओक्साइड बढ़ेगी और ओक्सिजन की कमी की वजह से बचे हुए प्राणी अपना दम तोड़ देंगे. वेसे तो ओक्सिजन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन ज्यदा मात्रा में कार्बन डाइओक्साइड फेलने की वजह से लोगो को श्वास लेने में तकलीफ पड़ेगी और धीरे धीरे दम तोड़ कर मार जाएगे. पृथ्वी के नए वातावरण में ढलने के लिए लोगो को समय भी नहीं मी पायेगा.
क्या होगा अगर दुनिया भर के सारे परमाणु बम फट जाएगे
पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति बदलने के साथ ही समुद्र की धाराए अपना मार्ग बदलेगी, इतने बड़े बदलाव के कारन किसी भी समुद्री जिव को इस वातावरन में ढलने के लिए समय ही नहीं मिलेगा और उनका सफाया हो जायेगा. समुद्र के तटीय प्रदेश में रहेने वाले पोलार बियर जेसे जानवर की प्रजाति भी विलुप्त हो जाएगी. इसका मतलब ये होगा की समुद्र के जीवो का दुनिया भरसे पूरी तरह से खात्मा हो जायेगा.
प्रकृति पर अशर
समुद्री धाराए अपना मार्ग बदलेगी जिससे सुके रेगिस्तान में लगातार बारिस होगी और बाड के हालत पैदा हो जायेंगे. जहा साल भर बारिस ही होती रहेती हे एसे वर्षा वनों में पानी का एक बूंद भी नहीं गिरेगा जिससे वनस्पति और वहा के सारे जिव नाश हो जाएगे.
अगर खेती की बात करे तो फसलो से हरी भरी और लहेराती जमीन किसानो के लिए सपने जेसा ही रहे जायेगा. उपजाऊ धरती पूरी तरह बंजर हो जाएगी. जिससे धरती पर खाने के लिए अनाज ही नहीं बचेगा जिससे बिना भोजन के मानव जीवन खतरे में आ जायेगा.
हवा में भी भारी मात्रा में बदलाव होगा सुर्य की किरण को रोकने वाले बर्फ के ख़त्म हो जाने की वजह से सूर्य समुद्र से भारी मात्रा में नमी खींचेगा जिससे आसमान में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बादल बनेगे और पहाड़ी इलाको में भारी मात्रा में बारिस होगी जिससे बचा हुआ भाग भी बाढ की जपेट में आजायेगा. तटीय इलाको में भी इन्सान जीवित नहीं रेह पायेगा.
सभी देशो में एक एसी मुश्किल पैदा हो जाएगी जिसका हल किसी भी देश की सरकार के पास नहीं होगा. और धीरे धीरे ब्रमांड का सबसे सुंदर गृह तबाह हो जायेगा लेकिन रातो रात पृथ्वी पर की सारी बर्फ एक साथ पिगल नहीं सकती हे पर गोल्बल वोर्मींग की वजह से बर्फ पिगल रही हे और समुद्र में लगातार बढ़ोतरी होती रही हे.
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अगर हम लोग इसी तरह से प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ करते रहे तो बर्फ रातो रात तो नहीं पिगलेगी पर धीरे धीरे पिगल कर वही हाल होगा जो की रातो रात पिगलने पर होने वाला हे. इस लिए अभी भी वक्त हे हमें सुधर जाना चाहिए और ग्लोबल वोर्मींग पर कंट्रोल करना चाहिए. एसा तभी होगा जब हम प्रकृति की कदर करेंगे. तभी होगा जब हम प्रकृति की कदर करेंगे.
apke is article pe vidio bana sakte h plz say
बिलकुल भी नहीं. में किसी को भी अपने आर्टिकल से video बनाने की इजाजत नहीं देता हु. एसा करने पर copyright Strike आ सकती है.